पूजा ने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर आए नोटिफिकेशन में जब मोनिका यादव का मैसेज देखा तो उसे अत्याधिक हैरानी हुई कि इस उम्र में जब इंसान पूजा पाठ और सत्संग के सिवाय कहीं और ध्यान नहीं लगता और यह अब सीखने के लिए लालायित हैं। सच सीखने की कोई उम्र नहीं होती बस मन में प्रबल इच्छा हो तो कभी भी कहीं भी कैसी भी स्थिति में ज्ञान अर्जित किया जा सकता है किसी से भी। चाहे सिखाने वाला आपके पोते पोतियों की उम्र का ही क्यों ना हो।
उन्हें सरकारी नौकरी से रिटायरमेंट के बाद 25 साल पूरे हो गए हैं और वो अपने पोते-पोतियों के साथ एक खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहीं है। उनकी बहुएं उनका बहुत ध्यान रखतीं हैं। बेटे भी अपनी मां की हर जरुरत चाहे वो दवाई कपड़े भोजन हो या फोन लेपटॉप कम्प्यूटर हो, सभी पूरी करते हैं। हां वो अपने बिस्तर पर बैठी अपनी एक नई दुनिया में ही होती हैं किस्से कहानियों और कविताओं की सतरंगी दुनिया में। सुबह सवेरे रोज समय पर नहाना और नाश्ते के बाद पूरा समय जब सब व्यस्त होते हैं अपनी अपनी दुनिया में मोनिका जी भी लिखना शुरू कर देतीं है। कई साहित्यक मंचों पर कई पुरस्कार मिले हैं पर फिर भी कुछ और उनका इंतजार कर रहा है ऐसा नहीं अच्छा लगता है की जो वह नहीं सीख पाए वह उम्र की इस 85 वर्ष गांठ के बाद भी सीख सकती है। उन्हें कुछ नई साहित्यिक विधा सीखनी है पर अब इस उम्र में जब पैरों से पूर्णतः लाचार हैं कैसे कहीं जाएंगी ऐसे में इंटरनेट है ना।
अब वह तब से छंद सीखने की इच्छुक हैं जब से पूजा से बात करते समय पता चला कि वो छंद जिस साहित्यक पटल पर छंद सीख रहीं थीं वहीं अब उसे पटल गुरु भी बना दिया गया है और उस छंद विधालय की दूसरी शाखा में भी वो सिखाती है।
" नई कक्षा कब से प्रारंभ हो रही है जिसमें मैं भी जुड़ना चाहती हूं, जहां आप भी सिखातीं हैं बस वहीं मुझे भी जोड़ दीजिए।"
कुछ समय पहले ही एक दिन फोन पर बात करते वक्त उन्होंने अपनी इच्छा जताई थी तब पूजा को लगा था की वह ऐसे ही कह रही है कहां हो पाएगा अब इस उम्र में छंद की साधना करना जो कि किसी तपस्या से कम नहीं हैं। इस उम्र तक आते-आते बीमारियों से जकड़ जाता है शरीर और सिर्फ दवाईयों और खान पान में परहेज बस इतना ही जीवन का उद्देश्य यह जाता है।
ऐसे में नियमित कक्षा में उपस्थित होना संभव नहीं है यह बात पूजा ने उन्हें बताई भी थी कि नियमितता बहुत जरूरी है छंद सीखने के लिए।
"हमारे ओनलाइन छंद विधालय में तभी जोड़ा जाता है किसी भी नए सदस्य को जो नियमित छंद साधना कर सकें। यदि आप रोज लिखें और दैनिक कार्य एवं संध्याकालीन कक्षा में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के साथ साथ हर रविवार को होने वाली ज़ूम कक्षा में शामिल हों, ऐसा हमारे गुरु दीदी कहती हैं। पटल का जो सदस्य नियमित रूप से उपस्थिति दर्ज नहीं कराता उसे निकाल दिया जाता है ।"
पूजा नहीं चाहती थी कि उन्हें इस अनुशासन से कोई परेशानी हो। वो एक अच्छी लेखिका हैं और कवियत्री भी यह बात भी पूजा को अच्छे से ज्ञात थी क्योंकि तीन साल पहले जब वो लेखन में एक ओनलाइन साहित्यिक मंच से जुड़ी थी तभी वह वहां पर मोनिका यादव से मिली थी। उस समय नहीं जानती थी कि वह किस उम्र की होगी क्या करती होगी बस उनकी एक कविता को प्रथम पुरस्कार मिला था और वह कविता पूजा को बहुत पसंद आई थी । बस उस कविता के जरिए ही तो पूजा उनसे जुड़ी थी। उसकी सभी रचनाओं में मोनिका जी की सुंदर प्रेरक समीक्षा और प्रोत्साहन मिलता जिससे नजदीकी बढ़ती गई थी । दोनों में मैसेज पर खूब बातें हुआ करती कभी साहित्य तो कभी किसी भी समसामयिक मुद्दे पर लेकर घंटों बहस हुआ करती कई बार दोनों के मत अलग होते थे पर दोनों एक दूसरे के विचारों का और उनके लेखन का अत्यधिक सम्मान करते थे। पूजा को तो उनके मैसेज का हमेशा इंतजार रहता।
ऐसे ही एक दिन मैसेज में ही उन्होंने इच्छा जताई की क्या आप मुझसे फोन पर बात कर सकती हैं तो उसने भी अपना नंबर दे दिया था फिर बातों के दौरान पता चला कि वह तो उनके नातिन की उम्र की है, तब से तो उसके हृदय में उनके प्रति सम्मान और भी अधिक बढ़ गया था।
कविता झा'काव्य'अविका
#लेखनी
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# लेखनी कहानीकार प्रतियोगिता
madhura
06-Sep-2023 05:24 PM
Very nice
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सीताराम साहू 'निर्मल'
05-Sep-2023 02:45 PM
👌👍🏼🙏🏻
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